Bajra Variety: रेतीली हो या काली मिट्टी, हर खेत के लिए है एक खास बाजरे की किस्म, जानिए वो वैरायटी जो आपके खेत की तस्वीर बदल सकती है: आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसी फसल की, जो कम पानी में भी लहराती है, जो सूखे में भी मुस्कुराती है और जिसका नाम सुनते ही हर किसान के मन में एक उम्मीद जाग जाती है बाजरा। लेकिन बाजरे की खेती तभी फायदेमंद होती है जब आप अपनी मिट्टी और पानी की उपलब्धता के अनुसार सही वैरायटी का चुनाव करें। इसीलिए दोस्तों, आज मैं आपको बताने जा रहा हूं बाजरे की टॉप 6 ऐसी वैरायटी जो बीते कुछ सालों में उत्पादन के मामले में सबसे आगे रही हैं।
Bajra Variety: भारी जमीन और ज्यादा पानी वालों के लिए नंबर वन वैरायटियां
तो दोस्तों सबसे पहले बात करते हैं उन किसानों की जिनके पास भारी मिट्टी और पानी की पर्याप्त सुविधा है। आपके लिए सबसे बेहतरीन शुरुआत Pioneer की 86M90 वैरायटी से होती है। इसकी फसल 80 से 85 दिन में तैयार हो जाती है और 7.5 से 8 फीट ऊंचे मजबूत पौधे भारी उत्पादन देते हैं। सही प्रबंधन के साथ आप 15 से 18 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन ले सकते हैं।

दूसरी जबरदस्त वैरायटी है Pioneer 86M94। थोड़ी कम अवधि वाली, सिर्फ 75 से 78 दिन में तैयार हो जाती है और इसके लंबे टॉस और मजबूत बालियां इसे गिरने से बचाते हैं। दोस्तों, अगर आप पर्याप्त पानी और काली चिकनी मिट्टी में खेती करते हैं तो ये वैरायटी आपके लिए बिल्कुल परफेक्ट है।
तीसरे नंबर पर आती है एक खास वैरायटी – क्रिस्टल की प्रो एग्रो नोज़ार, जिसे पहले बायर के नाम से जाना जाता था। इसकी एक खासियत यह है कि इसमें डबल स यानी एक ही पौधे में दो स निकलते हैं जिससे उत्पादन भी बढ़ता है। 85 से 87 दिन की अवधि और 15 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन इसे बेहतरीन बनाता है।
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हल्की, रेतीली मिट्टी और कम पानी वालों के लिए बेस्ट विकल्प
अब बात करते हैं उन किसान भाइयों की जो सूखे या कम बारिश वाले क्षेत्रों में खेती करते हैं। ऐसी जगहों पर रासी 53 एक शानदार विकल्प है। इसकी फसल 70 से 72 दिन में तैयार हो जाती है और हल्की मिट्टी में भी 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन देती है।
दूसरी मजबूत दावेदार है टाटा 7171। यह वैरायटी कम समय में अच्छी पैदावार देती है और हल्की मिट्टी में कम पानी में भी शानदार प्रदर्शन करती है।
तीसरी और सबसे खास वैरायटी है नंदी 67, जिसे खाने के शौकीनों के लिए खास माना जाता है। इसका स्वाद लाजवाब है और सिर्फ 60 से 65 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। दोस्तों, इसका फायदा ये है कि आप बाजरे के बाद कोई और रबी फसल आसानी से ले सकते हैं।
किसान भाइयों, समझदारी से करें वैरायटी का चुनाव
तो दोस्तों, आप चाहे भारी मिट्टी में हों या रेतीली जमीन पर, बाजरे की ये वैरायटियां आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। बस जरूरी है कि आप अपने खेत की मिट्टी, पानी की उपलब्धता और बाजार की मांग को ध्यान में रखकर सही बीज का चुनाव करें।
याद रखिए, सही वैरायटी = ज्यादा उत्पादन = ज्यादा मुनाफा। तो अगली बार जब आप बाजरे की बुवाई करें, तो इस आर्टिकल को जरूर याद रखें।
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