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Garlic Varieties: 2025 में लहसुन की टॉप 5 वैरायटी और उनकी पैदावार बढ़ाने के रहस्य

Garlic Varieties: 2025 में लहसुन की टॉप 5 वैरायटी और उनकी पैदावार बढ़ाने के रहस्य
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Garlic Varieties: लहसुन की खेती में अधिक पैदावार पाने का असली रहस्य सिर्फ खाद, दवा और स्प्रे में नहीं बल्कि सही बीज चुनने और उसकी बुवाई के समय की सही तैयारी में छिपा है। इस लेख में हम आपको 2025 में लहसुन की टॉप पांच उन्नत किस्मों के बारे में बताएंगे, जिनकी पैदावार और गुणवत्ता किसानों को अधिक लाभ दे सकती है। इसके साथ ही आप जानेंगे कि किस प्रकार बीज की सही चयन प्रक्रिया, कलियों की मोटाई और मिट्टी की जरूरतों को ध्यान में रखकर आप अपनी फसल से अधिकतम उत्पादन सुनिश्चित कर सकते हैं।

लहसुन का बीज चुनते समय ध्यान देने योग्य बातें

लहसुन का बीज खरीदने से पहले उसकी कलियों का आकार, समानता और स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण है। मोटी और स्वस्थ कलियां ही अच्छे कंद और अधिक पैदावार की गारंटी देती हैं। मुरझाई हुई कलियों का उपयोग करने से फसल में रोग और थिप्स जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा यह देखना भी जरूरी है कि लहसुन की किस्म आपके क्षेत्र की मिट्टी और सिंचाई क्षमता के अनुसार उपयुक्त हो।

Garlic Varieties: 2025 में लहसुन की टॉप 5 वैरायटी और उनकी पैदावार बढ़ाने के रहस्य

2025 की टॉप 5 लहसुन किस्में

1. जी2 किस्म

जी2 किस्म उन खेतों के लिए आदर्श है जहाँ लहसुन हर साल की खेती में लगाया जाता है। इसकी कलियों की मोटाई शानदार होती है और यह 5-6 बार सिंचाई मांगती है। इसकी खासियत यह है कि इसका कंद जल्दी नहीं सड़ता और लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है।

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2. जी 282 (यमुना सफेद थर्ड)

जी 282 किसानों में बहुत पॉपुलर है। इसका हल्का लाल मटमैला कंद आसानी से पहचान में आता है। इसमें कलियों की संख्या 15-16 रहती है और यह लगभग 120-140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। पैदावार क्षमता 60-70 क्विंटल प्रति एकड़ है।

3. जी50 (यमुना सफेद सेकंड)

इस किस्म की कलियां थोड़ी छोटी होती हैं, लेकिन प्रति कंद कलियों की संख्या लगभग 35-40 होती है। उत्तरी भारत और एमपी, राजस्थान के क्षेत्रों में यह बेहतरीन पैदावार देती है। पकने में 140-160 दिन लगते हैं, लेकिन गुणवत्ता और उत्पादन शानदार रहता है।

4. रियावन सिल्वर

रियावन सिल्वर का कंद चांदी जैसे सफेद रंग का होता है और कलियों की मोटाई अधिक होती है। एक कंधे में 15-16 कलियां होती हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका उच्च मार्केट रेट है, जो किसानों को अतिरिक्त लाभ दिलाता है।

5. ऊटी फर्स्ट

ऊटी फर्स्ट एक मध्यम अवधि वाली किस्म है, जो 120-130 दिनों में पककर तैयार होती है। इसकी पैदावार क्षमता लगभग 60-70 क्विंटल प्रति एकड़ है। कलियों और कंद की मोटाई अधिक होने के कारण इसे लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है और बाजार में अच्छा रेट मिलता है।

बीज की सही तैयारी और बुवाई का महत्व

लहसुन की बुवाई से पहले बीज का उपचार और खेत की तैयारी महत्वपूर्ण हैं। बीज को उपचारित करके रोग और कीटों से बचाया जा सकता है। खेत की मिट्टी उपजाऊ और भुरभुरी होनी चाहिए, जिससे पौधों की जड़ें गहराई तक फैल सकें और पोषक तत्व आसानी से मिलें। सही समय पर खाद और सिंचाई देने से पैदावार में 100% सुधार आता है।

FAQs

1. लहसुन की किस्में कब बुवाई के लिए उपयुक्त हैं?

ज्यादातर टॉप किस्में अक्टूबर-नवंबर के बीच बुवाई के लिए उपयुक्त हैं।

2. बीज की मोटाई का पैदावार पर क्या असर होता है?

मोटी और समान कलियों से ज्यादा मोटे कंद निकलते हैं, जिससे पैदावार बढ़ती है।

3. कौन सी लहसुन किस्म स्टोरिंग के लिए सबसे बेहतर है?

जी2 और ऊटी फर्स्ट किस्म लंबे समय तक स्टोरिंग के लिए उपयुक्त हैं।

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